Wednesday, 20 November 2013


आइये जानते हैं तुलसी के फायदे...


1. तुलसी रस से बुखार उतर जाता है। इसे पानी में मिलाकर हर दो-तीन घंटे में पीने से बुखार कम हो जाता है।

2. कई आयुर्वेदिक कफ सिरप में तुलसी का इस्तेमाल अनिवार्य है।यह टी.बी,ब्रोंकाइटिस और दमा जैसे रोंगो के लिए भी फायदेमंद है।

3. जुकाम में इसके सादे पत्ते खाने से भी फायदा होता है।

4. सांप या बिच्छु के काटने पर इसकी पत्तियों का रस,फूल और जडे विष नाशक का काम करती हैं।


5. तुलसी के तेल में विटामिन सी,कै5रोटीन,कैल्शियम और फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।

6. साथ ही इसमें एंटीबैक्टेरियल,एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।

7. यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।साथ ही यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करती हैं।

8. तुलसी का तेल एंटी मलेरियल दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबॉडी होने की वजह से यह हमारी इम्यूनिटी भी बढा देती है।

9. तुलसी के प्रयोग से हम स्वास्थय और सुंदरता दोनों को ही ठीक रख सकते हैं।



सावधानी :

फायदे जानने के बाद तुलसी के सेवन में अति कर देना नुकसानदायक साबित होगा। क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए दिन भर में 10-12 पत्तों का ही सेवन करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं के लिए भले ही तुलसी एक वरदान की तरह है लेकिन फिर भी एक दिन में पांच तुलसी के पत्ते पर्याप्त हैं। हां, इसका सेवन छाछ या दही के साथ करने से इसका प्रभाव संतुलित हो जाता है। हालांकि यह आर्थराइटिस, एलर्जी, मैलिग्नोमा, मधुमेह, वायरल आदि रोगों में फायदा पहुंचाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान अगर दर्द ज्यादा होता है तब तुलसी के काढे से फायदा पहुंच सकता है। इसमे तुलसी के पत्तो को रात भर पानी मे भिगो दें और सुबह उसे क्रश करके चीनी के साथ खाएं ब्रेस्ट- फीडिंग के दौरान भी तुलसी का काढा फायदेमंद होता है। इसके लिए बीस ग्राम तुलसी का रस और मकई के पत्तों रस मिलाएं, इसमें दस ग्राम अश्वगंधा रस और दस ग्राम शहद मिला कर खाएं। तुलसी बच्चेदानी को स्वास्थ रखने के लिए भी सहायक है। हां, एक बात ध्यान रहे कि आपके स्वास्थ पर तुलसी के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड सकते हैं इसलिए महिलाओं के लिए हो या बच्चों के लिए, बिना आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लिए इसका इस्तेमाल न करे।



तुलसी की उपयोगिता—
- तुलसी भोजन को शुद्ध करती है, इसी कारण ग्रहण लगने के पहले भोजन में डाल देते हैं जिससे सूर्य या चंद्र की विकृत किरणों का प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता।
- मृत व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, धार्मिक पद्धति के अनुसार उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो, ऐसा माना जाता है।
- तुलसी रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
- तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।
- तुलसी का पौधा दिन रात आक्सीजन देता है, प्रदूषण दूर करता है।
- घर बनाते समय नींव में घड़े में हल्दी से रंगे कपड़े में तुलसी की जड़ रखने से उस घर पर बिजली गिरने का डर नहीं होता।
- तुलसी की सेवा अपने हाथों से करें, कभी चर्म रोग नहीं होगा
- खाना बनाते समय सब्जी पुलाव आदि में तुलसी के रस का छींटा देने से खाने की पौष्टिकता व महक दस गुना बढ़ जाती है।
उपयोग में सावधानी बरतें-
- तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी निकालने के लिये। इसे दही या छाछ के साथ लें, इसकी उष्ण गुण हल्के हो जाते हैं।
- तुलसी अंधेरे में ना तोड़ें, शरीर में विकार आ सकते हैं। कारण अंधेरे में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।
- तुलसी के सेवन के बाद दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।
- तुलसी रस को अगर गर्म करना हो तो शहद साथ में ना लें। कारण गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।
- तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।
- तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्लाकर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को खराब कर देता है।

तुलसी सेवन का तरीका
- इसे प्रातः खाली पेट लेने से लाभ होता है।
- इसके पत्तों को सुखाना हो तो छाया में सुखाएं।
- फायदे को देखते हुए एक साथ अधिक मात्रा में ना लें।
- बिना उपयोग तुलसी के पत्तों को तोड़ना उसे नष्ट करने के बराबर है।

तुलसी से स्वास्थ्य लाभ
- श्याम तुलसी(काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है।
- तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।
- तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है।
- तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेंचिस) ठीक होती है।
- अदरक या सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ा-थोडा सबको मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो शक्कर नमक मिलाकर पी जाएं। इससे फ्लू , खांसी, सर्दी, जुकाम ठीक होता है।
- कभी-कभी किसी व्यक्ति में अधिक उत्तेजन (पागलपन) आ जाता है, ऐसे में लगातार तुलसी की पत्तियां सूंघे, मसलकर चबाएं, इसके रस को लें, सारे शरीर पर लगाएं, इससे पागलपन की उत्तेजना ठीक होने में लाभ मिलता है।
- तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः खाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है।


» कुष्ठ रोग में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं।खायें तथा पीसकर लगायें भी
- तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।
- तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है।
- तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
- कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फायदा होता है।

- 10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके. ये कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।
- तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।-» तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान व अदरक में घोंट लें तथा एक एक ग्राम की गोलियां बना लें। जब भी खांसी हो सेवन करें।
- तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच, मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें, यह खांसी की अचूक दवा है।

काध्यान रहे तुलसी पूजनीय हें , इसका अपमान / अनादर न करे |

No comments:

Post a Comment