Wednesday, 20 November 2013

गुणों  से मालामाल मूली 

 ताजी व कोमल मूली, त्रिदोषशामक, जठराग्निवर्धक व उत्तम पाचक है | गर्मियों में इसका सेवन लाभकारी है | इसका कंद, पत्ते, बीज सभी औषधीय गुणों से सम्पन्न हैं | ताजी व कोमल मूली ही खानी चाहिए | पुरानी, सख्त व मोटी मूली त्रिदोषप्रकोपक, भारी एवम रोगकारक होती है |
इसके १०० ग्राम पत्तों में ३४० मि.ग्रा. कैल्शियम, ११० मि.ग्रा. फास्फोरस व ८.८ मि.ग्रा. लोह तत्त्व पाया जाता है | प्रचुर मात्रा में निहित ये खनिजतत्त्व दाँत एवं हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और रक्त को बढ़ाते हैं | इसके पत्ते सलाद के रूप में अथवा सब्ब्जी बनाकर भी खाये जा सकते हैं | पत्तों के रस का भी सेवन किया जाता हैं | इसके पत्ते गुर्दे के रोग, मूत्र-संबंधी विकार, उच्च रक्तचाप, मोटापा, बवासीर व पाचन-संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी हैं |
गर्मी में अधिक पसीना आने से शारीर में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है | मूली में ३३ मि.ग्रा. सोडियम पाया जाता है, अत: मूली खाने से इसकी आपूर्ति सहजता से हो जाती है और थकान भी मिट जाती है |

पत्ते भी हैं फायदेमंद-

अक्सर लोग मूली खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं, जबकि पत्तों में भी स्वाद तथा काफी मात्र में पोषक तत्व होते हैं। उन्हें भूजी- सब्जियां, पराठों में प्रयोग करें। इसमें पतली-पतली फलियां भी आती हैं, जिसे मोंगर या मोंगरा के नाम से जाना जाता है। इन फलियों की सब्जियां बहुत स्वादिष्ट बनती हैं। हमेशा छोटी, पतली तथा ताजा मूली का ही प्रयोग करें।

हड्डियों को मजबूती दे-

मूली खाने से शरीर की विषैली गैस (कार्बन डाई ऑक्साइड) का निष्कासन होता है तथा जीवनदायी ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। मूली खाने से दांत मंसूड़े मजबूत होते हैं, हड्डियों में मजबूती आती है। थकान मिटाने और नींद लाने में भी मूली सहायक है।

पीलिया में फायदेमंद-

यह उच्च रक्तचाप, बवासीर की तकलीफ में लाभकारी है। इसका रस निकाल पीने से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है। पीलिया रोग में ताजा मूली का प्रयोग बहुत ही उपयोगी है।

मोटापा से मुक्ति दिलाए-

आज की महाबीमारी मोटापा से परेशान हैं तो इसके रस में नींबू व नमक मिला कर नियमित सेवन करें, लाभ होगा। सिर में जूं पड़ रही हो तो इसका रस पानी में मिला कर धोएं।

हीमोग्लोबिन की कमी दूर करे-

मूली के रस में सामान मात्र में अनार का रस मिला कर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

दांतों को चमकाए-

इसके खाने से रक्तविकार दूर होते हैं। त्वचा के दाग धब्बे हटते हैं। दांतों पर पीलापन हो तो मूली के टुकड़े पर नींबू का रस लगाकर दांतों पर धीरे-धीरे मलने से दांत साफ होंगे। इसके अलावा मूली को काट कर नींबू लगा कर छोटे छोटे टुकड़े दांतों से काट कर धीरे-धीरे चबाएं। थोड़ी देर बाद उगल दें। ऐसा नियमित रूप से करने से दांतों पर चढ़ी पीली परतें हट जाएंगी।

पायरिया से राहत-

पायरिया से परेशान लोग मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करें और इसका रस पिएं तो लाभ होगा। मूली के रस से कुल्ले करना, मसूड़ों-दांतों पर मलना और पीना दांतों के लिये बहुत लाभकारी है। मूली को चबा-चबा कर खाना दांतों व मसूड़ों को निरोग करता है।






कब्ज से राहत दिलाए-

कब्ज से परेशान हैं तो मूली पर नींबू व नमक लगा कर सवेरे खाएं, लाभ होगा। भोजन में मूली सलाद के रूप में लें तो और लाभ होगा। सुबह-शाम मूली का रस पीने से पुराने कब्ज में भी लाभ होता है। इस दौरान तला-भूना भोजन न खाएं, बल्कि खिचड़ी, दलिया आदि खाएं।
पेट-दर्द में कारगर

पेट-दर्द परेशान करे तो मूली का रस नींबू मिला कर पिएं या मूली का अचार खाएं।
मुंह की दुर्गन्ध दूर करे -

मुंह से गंध आती हो तो मूली के पत्तों पर सेंधा नमक मिला कर सवेरे-सवेरे
रोज खाएं। दुर्गन्ध नष्ट होगी।

चेहरा दमकाए, खूबसूरत बनाएहम सभी खूबसूरत दिखना चाहते हैं लेकिन मुंहासे और झाईयां चेहरे की खूबसूरती छीन लेती हैं। अगर आप इससे मुक्ति के लिए काफी प्रयास कर चुके हैं तो इस बार मूली को आजमा कर देखें, लाभ होगा। मुंहासों के लिए मूली का टुकड़ा गोल काट कर मुंहासों पर लगाएं और तब तक लगाए रखें, जब तक यह खुश्क न हो जाए। थोड़ी देर बाद चेहरे को ठण्डे पानी से धो लें, काफी लाभ होगा। मुंहासे निकलना खून की खराबी का लक्षण है। मूली के सेवन से इस समस्या से मुक्ति मिलती है।
एक गिलास गन्ने का रस पीने से रक्त साफ होता है ! गन्ना नेत्रों के लिए भी हितकर है !
पीलिया
--------
जौ का सत्तू खाकर ऊपर से गन्ने का रस पियें ! एक सप्ताह में पीलिया ठीक हो जायेगा !

 हिचकी
-------
गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है !



शक्तिवर्धक
-----------
ईख भोजन पचाता है ! शक्तिदाता है ! पेट की गर्मी , हृदय की जलन को दूर करता है !!!!!

विशेषः यकृत की कमजोरी वाले, हिचकी, रक्तविकार, नेत्ररोग, पीलिया, पित्तप्रकोप व जलीय अंश की कमी के रोगी को गन्ना चूसकर ही सेवन करना चाहिए। इसके नियमित सेवन से शरीर का दुबलापन दूर होता है और पेट की गर्मी व हृदय की जलन दूर होती है। शरीर में थकावट दूर होकर तरावट आती है। पेशाब की रुकावट व जलन भी दूर होती है।
सावधानीः मधुमेह, पाचनशक्ति की मंदता, कफ व कृमि के रोगवालों को गन्ने के रस का सेवन नहीं करना चाहिए। कमजोर मसूढ़ेवाले, पायरिया व दाँतों के रोगियों को गन्ना चूसकर सेवन नहीं करना चाहिए। एक मुख्य बात यह है कि बाजारू मशीनों द्वारा निकाले गये रस से संक्रामक रोग होने की संभावना रहती है। अतः गन्ने का रस निकलवाते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

सिंघाड़ा -
- व्रत में सिंघाड़ा और इसके आटे के अनेक व्यंजन बनाये जाते है.
- ये मखाने की तरह जल में पैदा होने वाले तिकोनाकार फल है. इसे कच्चा ही खाया जा सकता है या उबाल के या सुखा कर आटा बनाया जाता है. इसका अचार भी बनाते है.
- एड़ियां फटने की समस्या शरीर में मैगनीज की कमी के कारण से होता है। सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जिसमें पोषक तत्वों से मैगनिज एब्ज़ार्ब करने की क्षमता है। इसे खाने से शरीर में रक्त की कमी भी दूर होती है।
- मान्यता है कि जिन महिलाओं का गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भ गिर जाता है उन्हें खूब सिंघाड़ा खाना चाहिए। इससे भ्रूण को पोषण मिलता है और मां की सेहत भी अच्छी रहती है जिससे गर्भपात नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़ा खाना चाहिए। खासतौर पर जिनका गर्भ सात महीने का हो चुका है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है। इसे खाने से ल्यूकोरिया नामक रोग भी ठीक हो जाता है।

- इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। सिंघाड़े के नियमित और उपयुक्त मात्र में सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ व सुंदर
- हेल्दी त्वचा के लिए
सिंघाड़े में विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा की सेहत और खूबसूरती बरकरार रखने में बेहद मददगार है। इसे सलाद के रूप में सर्दियों में नियमित खाने से आपकी त्वचा निखरेगी और ड्राइनेस की समस्या नहीं होगी।
- लू लगने पर सिंघाड़े का चूर्ण ताजे पानी से लें।
- गर्मी के रोगी भी इसके चूर्ण को खाकर राहत पाते हैं।
- कच्चे सिंघाड़े में बहुत गुण रहते हैं। कुछ लोग इसे उबालकर खाते हैं। दोनों रूपों में यह स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। सुपाच्य भी तो होता है।
- यह थायरोइड के लिए बहुत अच्छा है. सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
- सूजन और दर्द में राहतः सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।
- यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
- पेशाब के रोगियों के लिए सिंघाड़े का क्वाथ बहुत फायदा देता है।
- सिंघाड़ा की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मी से जुड़े रोगों में लाभकर होता है।
- प्रमेह के रोग में भी सिंघाड़ा आराम देने वाला है।
- सिंघाड़े को ग्रंथों में श्रृंगारक नाम दिया जाता है।
- यह विसर्प रोग में लेने पर हमें रोग मुक्त कर देता है।
- प्यास बुझाने का इसका गुण रोगों में बहुत राहत देता है।
- प्रमेह के रोगी भी सिंघाड़ा या श्रृंगारक से आराम पा लेते हैं।
- टांसिल्स होने पर भी सिंघाड़े का ताजा फल या बाद में चूर्ण के रूप में खाना ठीक रहता है।साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।
- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को दाद पर घिसकर लगाएँ। पहले तो कुछ जलन लगेगी, फिर ठंडक पड़ जाएगी। कुछ दिन इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
- वजन बढ़ाने में सहायकः सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
- गर्भाशय की निर्बलता से गर्भ नहीं ठहरता, गर्भस्त्राव हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताज़े सिंघाड़े खाने से लाभ होता है। सिंघाड़े की रोटी खाने से रक्त- प्रदर ठीक हो जाता है।
- खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़े के फल का सेवन खूब करना चाहिए।
- सिघांड़े के आटे को घी में सेंक ले | आटे के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |
खाने में सावधानियां: एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े न खाएं।
- गर्मी के रोगी भी इसके चूर्ण को खाकर राहत पाते हैं।
- कच्चे सिंघाड़े में बहुत गुण रहते हैं। कुछ लोग इसे उबालकर खाते हैं। दोनों रूपों में यह स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। सुपाच्य भी तो होता है।
- यह थायरोइड के लिए बहुत अच्छा है. सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
- सूजन और दर्द में राहतः सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।
- यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
- पेशाब के रोगियों के लिए सिंघाड़े का क्वाथ बहुत फायदा देता है।
- सिंघाड़ा की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मी से जुड़े रोगों में लाभकर होता है।
- प्रमेह के रोग में भी सिंघाड़ा आराम देने वाला है।
- सिंघाड़े को ग्रंथों में श्रृंगारक नाम दिया जाता है।
- यह विसर्प रोग में लेने पर हमें रोग मुक्त कर देता है।
- प्यास बुझाने का इसका गुण रोगों में बहुत राहत देता है।
- प्रमेह के रोगी भी सिंघाड़ा या श्रृंगारक से आराम पा लेते हैं।
- टांसिल्स होने पर भी सिंघाड़े का ताजा फल या बाद में चूर्ण के रूप में खाना ठीक रहता है।साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।
- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को दाद पर घिसकर लगाएँ। पहले तो कुछ जलन लगेगी, फिर ठंडक पड़ जाएगी। कुछ दिन इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
- वजन बढ़ाने में सहायकः सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
- गर्भाशय की निर्बलता से गर्भ नहीं ठहरता, गर्भस्त्राव हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताज़े सिंघाड़े खाने से लाभ होता है। सिंघाड़े की रोटी खाने से रक्त- प्रदर ठीक हो जाता है।
- खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़े के फल का सेवन खूब करना चाहिए।
- सिघांड़े के आटे को घी में सेंक ले | आटे के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |
खाने में सावधानियां: एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े न खाएं।

Saturday, 2 November 2013

wo kahtein  hai ki diwali roshni ka parv hai ,

ye bhi kahtein hai ki khusiyon ka parv hai;

par khusiyaan  to di jaati hai 

aur,roshni ki jaati hai... 

Wednesday, 9 October 2013

kare kosis agar insaan to,

kya kya nahi milta,

wo uthkar chalke to dekhe,

jise raasta nahi milta,

bhale hi dhoop ho,kaante ho ,

par chalna hi padta hai,

kisi pyase ko ghar baithe,

kabhi dariya nahi milta.

Tuesday, 1 October 2013

SOMETHING REAL

THIS IS STORY ABOUT A LOVER WHICH IS FOUND ALL THE PLACES IN INDIA ????? NOT ONLY INDIA BUT IT'S FOUND IN ALL PLACES in the world...

AATE JAATE WAQT KA PATA HI NA CHALTA THA,
JAB HUM KHUD ME KHOYE RAHTE THE,
AAJ HAI KI WAQT TO GUJARTA HI NAHI HAI ,
PATA NAHI KISKI YAADON ME SOYE RAHTE HAI.


AANKHEN KAHTI HAI BAATON ME RAKH LOON, PAR
BAATON ME UNHE BATANE SE DARTEIN  HAI ,.
NA JANE YE KAUN SI CHAMAK HAI,
JINHE KHUD ME CHUPANE SE DARTEIN HAI.

KARTA HAI KI BAS UNKI YAADON ME KHOYE RAHUN,
PAR MUJHE TO UNHE YAADON ME LAANE SE DAR LAGTA HAI,
YE KAISA PYAAR MAI USSE KARTA HUN KI,
UNSE CHUPANE, AUR UNKE RUTH JANE SE DAR LAGTA HAI.

AAJ HAR BAAT UNSE KAH DUNGA ,PAR
UNKE NAA SE DARTA HUN,
 WAQT KA INTZAAR KAB TAK KARUN,
LEKIN UNKE WO ANDAAZ DARTA HUN.




AAJ MERE AANKHON ME BAS WO HI NAZAR AATI HAI ,
AUR MAI AANKHON KO BAND KARNE SE DARTA HUN,
TERI YAADON ME KHONA CHAHTA HUN,
PAR TUJHE APNE DIL ME BASANE SE DARTA HUN. 



Thursday, 19 September 2013

हमारा किनारा 


क्या शाम थी जब बात गुमनाम थी 

आँखों में सरारत और दिल में कुछ बात थी 

कहने को तो बहोत कुछ था 

पर कमबख्त आवाज अनजान थी 

वो बात कही नहीं जिसका इंतज़ार था 
पर खामोस निगाहों में एक ही सवाल था 
कब खामोस नदियाँ में तूफ़ान आएगा 
और कब ये दिल हमें समझा पायेगा 

कहता है रोज की आज तो बात कह दूंगा 
पर बेचारा बस  सोच के रह जाता है क़ि 

तुम्हारी आँखों में बस जाने को दिल करता है 
आवाज तो है पर रुक जाने को दिल करता है


चमकतें हैं सितारें तो ये ख्याल आ जाता है 
की तुम्हें इनसे छुपाने को दिल करता हैं  

ऐसी ही तो कहानी है इस किनारे की 
जो सब कुछ अपने पास रखती है ;
मैं  कहता हूँ की चली जा यहाँ से 
पर एक ही बात कहती है ,
मुज्मे वो है जो तुम रखना नहीं चाहतें 
और मैं वो हूँ जिसमे तुम बसना नहीं चाहतें।